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आरक्षण शब्द वो शब्द है जो हमारे देश में वर्ग परिवर्तन करता है. महात्मा गाँधी ने कहा था की हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाइ, सभी मेरे भाई है. सवामी विवेकानंद जी ने कहा की सब धर्म एक है और सभी इन्सान है तो आरक्षण क्यों ? आरक्षण हम भारतीयों को बटने का कम करता है. आज हमारे समाज इ सभी धर्म सभी जाति को बराबर का स्थान है फिर आरक्षण क्यों? कुछ दिन पहले संसद में आरक्षण को लेकर जोरदार हंगामा हुआ क्या ये सही है? बिलकुल भी नही. जिस देश में हम सभी जाति, धर्म इन्सान को भाई मानते है उस देश में जाति या धर्म विशेष क्यों? चुनावी मौसम आने पर हमारे राजनीति पार्टी आरक्षण के पीछे अपनी चुनावी जमींन तैयार करने में लग जाते है हल में सपा ने उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में मुस्लिम को आरक्षण देने का वायदा कर मुस्लिम वोट बैंक को अपने तरफ करने में कामयाब रही यही हल बसपा का है जब चुनाव आये तो दलित को आरक्षण देने का मुद्दा उठ जाता है. इन पार्टियों की तरफ से कभी ये मुद्दा नही उठता की इन्होने दलित, मुस्लिम के लिए क्या विकास किया. ये बात भी सही है की हमारे देश के उच्च पदों पर एक भी दलित वर्ग के आधिकारी नहीं है. पर मुद्दा तो ये भी है की हमारे देश की बड़ी- बड़ी कंपनियों में भी सामान्य के मुकाबले दलित नहीं है. जरुरत है तो दलितों की शिक्षा उनके माहौल वातावरण बदलने की उच्च शिक्षण संस्थानों की फ़ीस दलितों के लिए कम करने की जिससे वे वहाँ पर रह कर पढ़ सके और खुद को इतना दबिल बना सके और कह सके की हमें आरक्षण की आवश्कता नहीं है. हम मुस्लिम वर्ग को आरक्षण की बात क्यों करते है एस लिए की वे अल्पसंख्यक है हमारे देश में कुल जनसँख्या पर मुस्लिमो की जनसँख्या २० प्रतिशत है. जब की हमारे पडोसी देश पाकिस्तान में हिन्दुओ की जनसँख्या २ प्रतिशत से भी कम है तो क्या वहाँ पर हिन्दुओ को आरक्षण है? नहीं है. अगर हम अल्पसंख्यक की नजर से आरक्षण देते है तो हमारे देश में बौध धर्म सबसे कम है लेकिन उनके बारे में कोई क्यों नहीं सोचता क्या वे सर्वसंपन्न है? नहीं. तो फिर आरक्षण क्यों? हमें समाज के सभी तबके को साथ लेकर आगे बढ़ना है. तभी हमारा देश उचाइयों की बुलंदियों पर पहुंचेगा.
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